26 नवंबर 2023, तिरुवनंतपुरम, भारत | दिनांक 25 नवंबर 2023 को विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) में आयोजित एक महत्वपूर्ण उत्सव में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष में अपनी अग्रणी छलांग की 60वीं वर्षगांठ मनाई। यह स्मरणोत्सव 21 नवंबर, 1963 की याद दिलाता है, जब नाइके-अपाचे साउंडिंग रॉकेट थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन से आसमान में उड़ाया गया जिसे ब्रह्मांड में भारत के उद्घाटन उद्यम का प्रतीक बतलाया जाता है ।
इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) के सचिव श्री एस सोमनाथ की अध्यक्षता में आयोजित भव्य समारोह का उद्घाटन विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने किया। इस कार्यक्रम में विदेश मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री वी मुरलीधरन और इसरो के पूर्व अध्यक्ष श्री जी माधवन नायर के साथ-साथ विभिन्न इसरो केंद्रों के निदेशकों, वीएसएससी के पूर्व निदेशकों और अनुभवी कर्मचारियों की गरिमामय उपस्थिति देखी गई।
जयंती उत्सव के हिस्से के रूप में, इसरो के अतीत, वर्तमान और भविष्य के कार्यक्रमों को प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी आयोजित की गई, जो अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की उपलब्धियों का एक व्यापक दृश्य प्रस्तुत करती है। 2452वें ध्वनि रॉकेट प्रक्षेपण, रोहिणी 200 ने एक शानदार प्रदर्शन प्रदान किया, जो भारत के अंतरिक्ष प्रयासों में निरंतर प्रगति का प्रतीक है।

उत्सव का मुख्य आकर्षण डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा प्रक्षेपण नियंत्रण केंद्र के पास एक डायमंड जयंती स्मारक का अनावरण किया गया जो अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत के छह दशकों के महत्वपूर्ण योगदान का प्रतीक है। कार्यक्रम में शिक्षा के महत्व पर जोर दिया गया, जिसमें इसरो ने अध्यक्ष एस सोमनाथ के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र के लिए तिरुवनंतपुरम जिले के विभिन्न स्कूलों के 60 छात्रों को आमंत्रित किया गया ।
उत्सव को जनता तक विस्तारित करते हुए, सार्वजनिक आउटरीच पहल के हिस्से के रूप में शहर के तीन प्रमुख स्थानों पर रणनीतिक रूप से लॉन्च वाहनों के स्केल किए गए मॉडल की स्थापना की गई। अध्यक्ष एस सोमनाथ ने घोषणा की कि डायमंड जयंती समारोह आने वाले महीनों में विभिन्न इसरो केंद्रों में जारी रहेगा, जिसका समापन 23 अगस्त को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर होगा। उत्सव का उद्देश्य न केवल इसरो के शानदार इतिहास को प्रतिबिंबित करना है, बल्कि भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों में निरंतर प्रगति की विरासत को बढ़ावा देते हुए वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की अगली पीढ़ी को प्रेरित करना भी है।