राजनांदगांव 9 नवंबर 2021। छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले में दिनांक 7 नवम्बर 2021, रविवार को शिवनाथ नदी तट के किनारे तपोभूमि (ऑक्सीजोन मोहारा) भंवरमरा राजनांदगांव में बुध्द रूप के तृतीय स्थापना दिवस व डॉ. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर जी के प्रथम शाला प्रवेश दिन के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय बौध्द धम्म सम्मेलन में भारत देश के अनेक राज्यों से विख्यात विद्वान बौद्ध भिक्खु संघ पहुंचे। एक ओर शिवनाथ नदी की शांत – शीतल बहती धाराएँ उसी पथ पर एक किनारे कार्यक्रम के आयोजक पूज्य भदन्त धम्मतप, अध्यक्ष मेत्ता संघ राजनांदगांव के मार्गदर्शन में भिक्खु संघ द्वारा बुद्ध सरणं गच्छामि, धम्मं सरणं गच्छामि व संघं सरणं गच्छामि की मधुर ध्वनि करते हुए पैदल मार्च कर रहे भिक्खु संघ के चरणों में पुष्प अर्पित करते हुये उपासक – उपासिकाएं ने ससम्मान कार्यक्रम स्थल तक लेकर गये।
जहाँ तथागत भगवान गौतम बुद्ध एवं बोधिसत्व डॉ. भीमराव आम्बेडकर की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर तथा देवानांप्रिय चक्रवर्ती सम्राट अशोक व बोधिसत्व देंग्योदाईशि साइच्यो के छायाचित्र पर अगरबती, मोमबत्ती प्रज्जवलित कर तथा माल्यर्पण के पश्चात, तथागत भगवान गौतम बुद्ध के समीप विश्व शांति एवं बंधुत्व मैत्री के लिए पूज्य भदन्त सुगत महाथेरो बोधगया एवं भिक्खु संघ द्वारा पाली भाषा में सुत्त पठन व पूज्य भदन्त धम्मतप जी राजनांदगांव के द्वारा जापानी भाषा में सुत्त पठन कर हजारों की संख्या में उपस्थित उपासक – उपासिकाओं को त्रिसरण – पंचशील प्रदान किया गया।
छत्तीसगढ़ राज्य के अलावा महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के अनेक जिलों के शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र से पधारे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भिक्खु संघ का पुष्प माला से स्वागत किया, तत्पश्चात पूज्य भदन्त सुगत महाथेरो बोधगया, भदन्त सद्धातिस्स ग्वालियर, भदन्त धम्मज्योति मुरेना, भदन्त धम्मपाल राजनांदगांव, भदन्त रेवतबोधि भिलाई, भदन्त डॉ. जीवक भिलाई, भदन्त महेन्द्र राजनांदगांव, भदन्त ज्ञानबोधि जगदलपुर, भदन्त बुद्धघोष रायपुर, भदन्त धम्मदीप महानंद नैनपुर, भदन्त दीपक प्रकाश दल्लीराजहरा, भिक्खुणी खेमा बल्लारशाह, भिक्खुणी सुधम्मा नागपुर, भिक्खुणी सुबोधि बल्लारशाह उपस्थित होकर तथागत भगवान गौतम बुद्ध व भारतभूमि में जन्में अनेक बहुजन संत महापुरुषों व गुरुओं के उपदेशों से मार्गदर्शन करते हुये मनुष्य का वर्तमान जीवन कैसे तनावमुक्त हो तथा देश में भाईचारा, समानता व शांति स्थापित करने का मार्ग बताया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूज्य भिक्खु धम्मतप जी ने मीडिया से बात करते हुए कहा अकुशल व कुशल व्यक्ति के भीतर ही होता है बहार नहीं, उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा आप रास्ते से जा रहे हो कोई जीव – प्राण आपको दिखे क्या आप उसे अपने पैरों तले कुचल दोंगे, शायद तक ऐसा कोई नहीं करेगा क्योंकि प्राणी मात्रा के जीवन के रक्षण की भावना उसके भीतर होती है बहार नहीं, कोई व्यक्ति किसी की हिंसा करता है, निंदा करता है जो कुछ भी अकुशल करता है ये इसलिए करता है क्योंकि उसके भीतर में अकुशल चल रहा है, बुद्ध कहते है मानव जैसा सोचता है वैसा बन जाता है आप अच्छा सोचोंगे अच्छे बन जाओंगे, आप बुरा सोचोंगे बुरे बन जाओंगे, बुद्ध का धम्म अच्छे बनने का मार्ग दिखाता है, हमने बुद्ध के दिखाये मार्ग के अनुरूप जीवन जीना चाहिए तभी विश्व में बंधुत्व, मैत्री एवं शांति स्थापित हो सकती है। हमने दिन प्रतिदिन सोचना चाहिए क्या हम बुरे बने जा रहे है या अच्छे बने जा रहे है, साथों साथ जीवन में उपोसत भी करना चाहिए। तीन वर्ष पूर्व हमने तपोभूमि का निर्माण किया यह भूमि दिन प्रतिदिन दुःख मुक्ति का केन्द्र बनते चली जा रही है, प्रतिदिन इस भूमि में बहुत से दुखियारे जन बुद्ध रूप के समीप उपस्थित होकर अपने मन को हलका करते है, आज तपोभूमि में बाबासाहेब आम्बेडकर के प्रथम शाला प्रवेश दिन के निमित्त राज्य स्तरीय बौद्ध सम्मेलन का आयोजन किया गया आप खुद देख रहे है भारत वर्ष के कोने – कोने से भिक्खु – भिक्खुणी एवं उपासक – उपासिकाएं आकर विश्व शांति एवं बंधुत्व मैत्री की बात कर है, क्या बुद्ध का धम्म शांति का धम्म नहीं है क्या हम सभी ने बुद्ध के धम्म को मिलकर लोगों के दुःख मुक्ति के लिए फैलाने की आवश्यकता है। मै तहेदिल से सक्रीय धम्म सेवक एवं धम्म सेविकाओं व दानदाताओं एवं डॉक्टारों के समुह तथा शहरी – ग्रामीण परिवेश के सामाजिक, धार्मिक एवं राजनैतिक कार्यकर्ताओं का साधुवाद करता हॅू जिन्होंने प्रत्येक्ष एवं अप्रत्येक्ष रूप से कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कड़ा परिश्रम किया।
बौध्द धम्मगुरु पूज्य भिक्खु धम्मतप जी ने जो मुझे कार्य सौंपा है उस कार्य को मैं पूरा करने का वादा करने आया हू … मधुसुदन यादव
कार्यक्रम में अतिथि के रूप में पधारे राजनांदगांव के पूर्व लोकसभा सांसद मधुसूदन यादव जी ने कहा कि ’मैं वचन देने आया हूँ …’ अच्छे कार्य में बाधाएँ आती है आने दें घबरायें नहीं, चिंता ना करें जो कुछ भी होता है अच्छे के लिये ही होता है, तथागत गौतम बुद्ध जी ने जब ज्ञान प्राप्त किया तो उससे पहले भी और उसके बाद में भी हजारों बाधाएँ आयी लेकिन आज पूरे विश्व में उनकी शिक्षा को पहुंचने से कोई नहीं रोक पाया तो आगे कोई कैसे रोक पायेगा… इस जगह पर मैं तीन माह में तीन बार आ चुका हूँ और आज इस मंच के माध्यम से मैं यह कहना चाहता हूँ कि ’बौध्द धम्मगुरु पूज्य भदंत धम्मतप जी ने जो मुझे कार्य सौंपा है उस कार्य को मैं पूरा करने का वादा करने आया हूँ…’ कि तथागत गौतम बुध्द जी के जीवन से लोग जुड़ें और एक अच्छा मार्ग चुनकर अपने जीवन को सफल बनायें। साथ ही ग्वालियर से पधारे पूज्य भदन्त सद्धातिस्स जी के धम्मदेशना से प्रेरित होकर मैं भविष्य में यह प्रयास करूँगा की फुल – माला और मंच – मान सम्मान की ज्यादा अपेक्षा ना करते हुये जनता की सेवा व उनकी मदद करता रहू। तपोभूमि राजनांदगांव में एक ऐसी जगह होगी जहाँ देश -विदेश से लोग सिर्फ घूमने ही नहीं आयेंगे बल्कि इस जगह पर पहुंचकर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव व प्रेरणादायी शिक्षा लेकर वापस लौटेंगे। कार्यक्रम का आयोजन पूज्य भदंत धम्मतप जी अध्यक्ष मेत्ता संघ राजनांदगांव एवं मुख्य संयोजक छत्तीसगढ़ भिक्खु संघ के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुआ।
हमें हमेशा बुद्ध के शांति के मार्ग को अपनाने की आवश्यकता है – महापौर हेमा देशमुख
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर महापौर हेमा देशमुख राजनांदगांव, ने कहा आज जो कुछ भी हम है डॉ. भीमराव आम्बेडकर के कारण ही संभव हो पाया है, हमें हमेशा बुद्ध के शांति के मार्ग को अपनाने की आवश्यकता है। आयु. एस. के पासवान जी रायपुर ने चक्रवर्ती सम्राट अशोक के जीवन पर प्रकाश डाले। विशिष्ट अतिथि दिलीप वासनीकर जी दुर्ग, बी. एस. जागृत जी रायपुर, सुनील रामटेके भिलाई, अनिल मेश्राम भिलाई उपस्थित थे। सन् 1935 से 1965, आज तक जिन्होंने डाँ. बाबा साहेब के कारवां को आगे बढ़ाने का कार्य किया ऐसे सामाजिक कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया, साथों साथ 10 वी, 12 वी में सत् प्रतिशत अंक प्राप्त किये ऐसे विद्यार्थियों का मेघावी छात्र – छात्रा के रूप में सम्मान किया गया, तीन वर्षों से कार्यक्रम हो या सद्धम्म के प्रचार – प्रसार में सहयोग किया ऐसे दानदाताओं एवं सक्रीय कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अथक परिश्रम किये संदीप कोल्हाटकर, संतोष बौद्ध, कन्हैयालाल खोब्रागड़, कुणाल बोरकर, संजय हुमने, सागर रामटेके, शुभम रावत, राजू बारमाटे, दयानंद रामटेके, शशि श्यामकुवर, विनोद सावरकर, अविनाश खोब्रागडे़, आयु. नंदा मेश्राम, आयु. बुद्धिमित्रा वासनिक, डॉ. विजय उके, डॉ. पन्नालाल वासनिक, भोलाराम भोईर आदि। निःशुल्क मेडिकल शिविर हेतु डॉ. दीवाकर रंगारी, डॉ. उदय कुमार धाबर्डे, डॉ. सतीश मेश्राम, नरेश चन्द्र लांगे आदि डॉक्टरों का सहयोग रहा।
विशेष सहयोग किये आयु. माया वासनिक, छाया उके, वंदना मेश्राम, आयु. अर्चना दिवाकर रंगारी, सुनीता सोनपिपरे, मालती भौतमांगे, रचना नोन्हारे, रजनी बागड़े, पूनम कोल्हाटकर, अनुपमा श्रीवास, डॉ. नागरत्न गणवीर, विमला गोसाई, रानी वाघमारे, अर्चना गौतम, अम्बिका बौद्ध, मीना बौद्ध, अंजु वासनिक, सुनील जागृत, डी. पी. नोन्हारे, डॉ. के. एल. टांडेकर, सेवक मेश्राम, बी. पी. मेश्राम, माताभीख अननोखे, जितेश सिमनकर, सिद्धार्थ डोंगरे, भोजराज भेलावे, अज्जु घोडेश्वार, नागेश बोरकर,
प्रवीण नोन्हारे, गणेश रामटेके, रविन्द्र रामटेके, प्रवीण नोन्हारे (अर्जुंदा), नागेन्द्र कामडे़, नेनीराम गायकवाड़, भोजराज गौरखेडे, बुद्धप्रिय वासनिक, देवपाल रामटेके, सूरज बंजारे, उपेन्द्र रामटेके, बुद्ध प्रकाश गायकवाड़, अनिल जनबन्धु, दीलिप डोंगरे, सुनील सुष्माकर, मुन्ना मेश्राम, निलेश रामटेके, रवि इलमकर, विजय रंगारी, शिवशंकर गौर, अनमोल बौद्ध, अखिलेश ठावरे शिशुपाल मेश्राम, राहुल मोटघरे, भीमराव रामटेके पनेका एवं सम्पूर्ण समितियों के पदाधिकारियों का विशेष तौर पर सहयोग रहा। तथा पांच हजार से अधिक संख्या में बौध्द अनुयायी उपस्थित हुये। कार्यक्रम का संचालन संदीप कोल्हाटकर ने किया।