“भिमा तुझ्या मताचे,जर पांच लोक असते,तलवारीचे त्यांच्या,न्यारेच टोक असते“
प्रत्येक मनुष्य के जीवन मे एक टर्निंग पॉइंट आता वैध विशारद,योगासन,ध्यान साधना में पारंगत,ललित कला कौशल, मल्लयुद्ध, काव्य लेखन, भजन,दर्शन साहित्य में प्रवीण हमारे श्रधेय बाबू बंशीलाल रामटेके जी की बात- 1911-12 की है मैट्रिक पास करने के बाद रेलवे में टीटीई के पद पर व्हीटी स्टेशन मुंबई में नियुक्ति हुई अपनी ड्यूटी के दौरान एक अंग्रेजी अफसर को टिकिट मांगने के दौरान अपशब्द(यू डर्टी ब्लैकमैन) कहा जिसे सुनकर उस अंग्रेज अफसर की जमकर पिटाई कर दी। जिस पर उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा यही उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट था,मुंबई में बाबा साहब के सम्पर्क में आने के बाद उन्ही के आदेशानुसार शोषित पीड़ितों जे लिए मध्यप्रान्त सीपीएंड बरार(छत्तीसगढ़) में अपना जीवन सपर्पित किये,वे राजनादगांव में रियासत में दीवान का कार्य भी संभाले।
इस तरह कल आंबेडकर भवन भरकापारा में पुण्यानुमोदन महोत्सव के आयोजन में सर्वप्रथम बुद्धिमित्रा वासनिक जी व लता रामटेके जी के द्वारा तथागत व बाबासाहेब को पुष्प अर्पण व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
हमारे स्मृतिशेष पुरखो को फूल दीप अर्पण कर उपस्थित सभी सम्मानियो ने मानवंदना दीये,तपश्चात समर्पण समारोह के तहत आदरणीय धम्ममित्रो में आयु,. रवि बौद्ध जी, अमरसिंग वासनिक जी,विजय रंगारी जी द्वारा-त्रिशरण,पंचशील,,बुद्ध पूजा महामंगल सुत्त ग्रहण कराया गया।
उदगार समारोह के तहत उपस्थित सभी सम्मानीयजनो ने अपने अपने बुजुर्गों के प्रति स्मरणीय बाते व आभार व्यक्त किये,इसी कड़ी में लता रामटेके जी ने उस महत्वपूर्ण घटना का उल्लेख किया जो मोतीपुर के गौठान जो कि आज वहाँ (सामुदायिक भवन है) में घटित हुई कि सभी ने अपनी दाढ़ी मूंछ के बाल, जटा, ताबीज ,धागे डोरे आदि को अग्निकुंड मे जलाया गया और बाबा साहेब के धर्म परिवर्तन की घोषणा का समर्थन का प्रस्ताव पास किया ।
आदरणीय प्रकाश सिमनकर बाबूजी ने अपने वक्तव्य में भीम कुआ का जिक्र किये की किस तरह उन्हें पानी के लिए तरसना पड़ता था और सभी ने मिलकर इस कुएं का निर्माण किया जो कि वर्तमान में वाघमारे जी के आंगन में है।
इस तरह सभी जिसमे बुद्धिमित्रा वासनिक जी,प्रमोद वासनिक जी,यशवंत वासनिक जी,ब भूतपूर्व अध्यक्ष bks मेश्राम साहब जी,आदि ने बारी बारी अपने उदगार देते गये,और अंत मे महामंगल सुत्त धम्मपालन गाथा,पुण्यानुमोदन व खीर वितरण के साथ ही कार्यक्रम का समापन हुआ,इस कार्यक्रम की रुपरेखा व सफल करने में सबसे बड़ी भूमिका सम्माननिय दिलीप रामटेके जी की थी।