राजनांदगांव/मरकाटोला 30 जून 2022। बौद्ध समाज मरकाटोला (मोहला) द्वारा भगवान गौतम बुद्ध एवं डॉ. भीमराव आम्बेडकर जी की प्रतिमा का अनावरण भव्य कार्यक्रम आयोजित कर जगत विख्यात पुज्य गुरूवर्य, प्रज्ञागिरी डोंगरगढ़ के संस्थापक भदन्त संघरत्न मानके जी अध्यक्ष पञ्ञा मेत्ता संघ भारत एवं पुज्य भदन्त धम्मशिखर बालाघाट, पुज्य भदन्त धम्मतप राजनांदगांव, भन्ते बुद्धपाल सिवनी को आमंत्रित कर बौद्ध रीति रिवाज परित्राण सुत्रों का पठन कर किया गया।
बुद्ध प्रतिमा का दान अधिवक्ता सत्यपाल खोब्रागढे़ जी राजनांदगांव एवं डॉ. भीमराव आम्बेडकर की प्रतिमा का दान सरपंच रतनलाल तारम जी मरकाटोला ने दिया।
अधिवक्ता सत्यपाल खोब्रागढ़े जी कहते है मै न्यायालय में आय दिन देखता हूँ कोई हिंसा को लेकर, तो कोई चोरी को लेकर, तो कोई पारिवारिक विवाद को लेकर, तो कोई अन्य मामले को लेकर कोर्ट का दरवाजा न्याय पाने लिए के खट-खटाते है, देखा जाये तो ये सब परिस्थिति अज्ञानता के कारण ही निर्माण होती है इन सब परिस्थितियों को दूर करने के लिए बुद्ध का धम्म ही एक ऐसा मार्ग है, क्योंकि बुद्ध लोगों को समझाते है तुम्हारे दुखों का कारण कोई और नहीं तुम खुद हो इसके लिए तुम्हे अपने भीतर के अज्ञानता को दूर करना है, अज्ञानता के निर्मुलन से ही सारी समस्या का हल हो सकता है, इसी कड़ी में उन्होंने एक बात और कही बुद्ध कहते है जिस प्रकार तुम्हे मृत्यु का डर होता है उसी प्रकार अन्य प्राणियों को भी मृत्यु का डर होता है, इसी कारण किसी भी प्राणी को मृत्यु के घट नहीं उतारना चाहिए। संसार में जो अशांति फैली है इसे दूर करने के लिए बुद्ध ही एक मात्र मार्ग है क्षेत्र की शांति एवं विश्व शांति के लिए बुद्ध के धम्म की जरूरत है। इस उदेश्य को लेकर मै जिन विहारों में बुद्ध व बाबासाहेब आम्बेडकर की प्रतिमा नहीं है उन विहारों में बुद्ध रूप दान करने का संकल्प किया हॅंू। इसी तारतम्य में मैने दुर्गम वनांचल क्षेत्र मरकाटोला के बौद्ध समाज की मांग पर 3.5 फीट ऊंची बुद्ध की प्रतिमा दान कर ऋण से उऋण होने का मार्ग अपनाया हॅंू क्योंकि जो कुछ मै हॅंू भगवान गौतम बुद्ध एवं बाबासाहेब आम्बेडकर की वजह से हॅंू। अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाज सेवक कन्हैयालाल खोब्रागड़े राजनांदगांव, बी. पी. मेश्राम राजनांदगांव, पुण्डरीक राव खापर्डे दुर्ग, मानिकचन्द घोडेस्वार राजनांदगांव उपस्थित थे।
कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए, श्यामलाल रामटेके, विरेन्द्र शेन्डे, धनुष रामटेके, अनिल खोब्रागडे़, संतोष बोरकर, लालचंद गजभिए, फुलचंद गजभिए, बनस रामटेके, बसंत रामटेके, छकन रामटेके, मदनलाल बोरकर, शिवराम गेडाम, मानिकलाल गेडाम, राधेश्याम दामले, मानिक रामटेके, राजेश खोब्रागडे़, ब्रिज बोरकर, दिपक दामले, चिकू दामले, सुनंदाबाई, श्यामबाई बोरकर, सोनबत्ती गजभिए, राष्ट््रपाल बंजारे, संदीप बंजारे, संजय बंजारे, निखील मेश्राम, कांतिबाई मेश्राम, मकुंद रामटेके, सुलोचना मेश्रमा एवं समस्त बौद्ध उपासक एवं उपसिकाओं ने अथक परिश्रम किया।