प्रकृति का रंग | छत्तीसगढ़ के राज्य पशु जंगली भैस की आबादी मे बहुत ज्यादा गिराव देखा जा रहा है| इसकी वजह यह बताई जाती है की उन्हे अपना प्रकृतिक आवास खोना पड़ा है और उनके बीच परस्पर क्रिया का न होना बताया जा रहा है, बस्तर के कुछ भागो मे लोग इन्हे पालने लगे है जो की इन्हे अपने निवास स्थान से दूर ले जा रहा है|
वर्तमान मे प्रदेश मे केवल 10 जंगली भैस होने की आशंका जताई जा रही है|
छत्तीसगढ़ सरकार इनको इनके प्रकृतिक आवास मे सुरक्षित रखने की और इनकी सुरक्षा हेतु पूर्ण रूप से प्रयास कर रही है| राज्य वन विभाग से बताया जा रहा है की 4 मादा भैस को असम के ‘मानस राष्ट्रिय उद्यान’ से छत्तीसगढ़ के ‘बारनावपरा राष्ट्रिय उद्यान’ मे लाने का प्रस्ताव जारी है और माना जा है की 2-3 साल के अंदर इनकी आबादी मे वृद्धि होगी|
इसके अलावा उनकी आबादी मे वृद्धि लाने के लिए ‘राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, करनाल’ द्वारा दुनिया का सबसे पहला क्लोन बनाया गया जंगली भैस जो कि एक मादा है जिसका नाम ‘दीपाशा’ रखा गया है| दीपाशा को ‘आशा’ नामक भैस से क्लोन किया गया है जो की गरियाबंद की मूल निवासी है| इस तकनीक से इनकी आबादी को बचाया जा सकता है और यह बहूत ही कारगर है और विज्ञान की दुनिया का एक अलग अजूबा है|